संप्रेक्षण कलाओ और संचार उपकरणों का समाज के उत्पादन संबंधों से द्वंदात्मक संबंध होता है इनके जरिए नित नूतन अविष्कार की प्रक्रिया चलती रहती हैं | कम्युनिकेशन सिर्फ कम्युनिकेशन नहीं होता अपितु वह सामाजिक-आर्थिक प्रक्रिया की संचालक शक्ति है, माध्यम है | वह रूप है साथ ही अंतर्वस्तु भी है | प्रस्तुत पुस्तक तो खंड में है | पहले खंड, ज्ञान क्रांति और साइबर संस्कृति - मैं 14 अध्याय हैं | इन अध्यायो में संप्रेक्षण कलाओं के विकास की ऐतिहासिक प्रक्रिया और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का विस्तार से विश्लेषण किया गया है | इस खंड में शामिल अध्यायों के नाम इस प्रकार है- संप्रेषण कलाओं का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, उत्तर औद्योगिक समाज, जनसमाज, एशिया में उपग्रह क्रांति, नई संस्कृति की राह, संचार क्रांति और साहित्य, भारत में संचार क्रांति का इतिहास, सूचना समाज और सेवा क्षेत्र, सूचना तकनीक के विकास का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, सूचना समाज के सबक, विषम सूचना संसार, सूचना उद्योग का राष्ट्रीय परिदृश्य, तीसरी लहर की संवेदना, सूचना समाज | दूसरे खंड- इंटरनेट और वर्चुअल रियलिटी में 11 अध्याय हैं | यह है, इंटरनेट इतिहास, भाषा और पोर्न, इंटरनेट युग की चुनौतियां, वर्चुअल रियलिटी का सौंदर्य, हायपर टेक्स्ट की समस्याएं, हायपर टैक्सट डिजिटल पत्रकारिता और साहित्यालोचना, हायपर मीडिया अभिरुचियो का विस्फोट, साइबर स्पेस कि स्वायतत, हायपर कैफ़े, हाईपर टेक्स्ट के राजनीतिक पहलू, मौलिकता का प्रश्न और कॉपीराइट, कंप्यूटर और वीडियोगेम |
जगदीश्वर चतुर्वेदी मथुरा में 1997 में जन्म | आरंभ में 13 वर्षों तक सिद्धांत ज्योतिषशास्त्र का अध्ययन | ज्योतिषशास्त्र पर आरंभ में दो पुस्तकें प्रकाशित | संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से सिद्धांत ज्योतिषाचार्य (1979), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से हिंदी में एम.ए. (1981), एमफिल, (1982), (आपातकालीन हिंदी कविता और नागार्जुन), पी. एच. डी. स्वातंत्रोत्तर हिंदी कविता की मार्क्सवादी समीक्षा का मूल्यांकन (1986), कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में 1989 से 2016 तक अध्यापन कार्य, तीन बार विभाग अध्यक्ष | साहित्यालोचन और मीडिया पर 58 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित | कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में सन 1989 में प्रवक्ता सन 1993 में रीडर और 2001 में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति | सन सन 2016 में रिटायर | प्रकाशित कुछ प्रमुख पुस्तकें - उंबेतरो इको: चिन्हशास्त्र, साहित्य और मीडिया, (2012), मीडिया समग्र 11 खंडों में (2013), साहित्य का इतिहास दर्शन (2013), डिजिटल कैपिट लिजम, फेसबुक संस्कृति और मानवाधिकार (2014), इंटरनेट, साहित्य लोचन और जनतंत्र के (2014), नामवर सिंहऔर समीक्षा के सीमांत (2016), रामविलास शर्मा और परवर्ती पूंजीवाद और साहित्य इतिहास की समस्याएं , (2017) उत्तर आधुनिकतावाद (2004), तिब्बत दमन और मीडिया (2009), नदी ग्राम मीडिया और भूमंडलीकरण 2008 स्त्रीवादी साहित्य विमर्श (2000), मार्क्सवादी साहित्यालोचना की समस्यां, साइबर परिप्रेक्ष्य में हिंदी संस्कृत, उत्तर आधुनिकतावाद और विचारधारा, आधुनिकतावाद और विचारधारा, लेखक विश्व दृष्टि और संस्कृति |