माध्यम और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद

Rs.1295.00

9789391798864
HB
Academic Publication
जगदीश्वर चतुर्वेदी
23/36/16
314
2022

Description

माध्यम साम्राज्यवाद असल में मीडिया में सक्रिय बहुराष्ट्रीय निगमों के सांस्कृतिक राजनैतिक वर्चस्व के साथ मीडिया और समाज में आर्थिक प्रभुत्व से जुड़ी संवृति है | बहुराष्ट्रीय निगम आमतौर पर मीडिया का अपने सांस्कृतिक प्रभुत्व विचार के लिए इस्तेमाल करते हैं| पहले वह संवृति विज्ञापन जगत तक सीमित थी | लेकिन भारत में विज्ञापन और मीडिया को विदेशी पूंजी निवेश के लिए नव उदारीकरण के दौर पर खोल दिया गया तो इस संवृति ने तेजी से राष्ट्र-राज्य की सीमाओं का अतिक्रमण करके भूमंडलीय स्तर पर विकास किया| इसने  देशज संस्कृति, परंपरा और जीवन मूल्यों के साथ स्थानीय भाषाओं के प्रति नफरत का तेजी से वैचारिक प्रचार-प्रसार किया | इसका सबसे अधिक असर उन लोगों पर पड़ा जो मीडिया का उपयोग करते थे और विज्ञापन देखते थे | इसने  देशी खान-पान जीवन शैली, धर्म, कामुकता, स्त्री, अल्पसंख्यकों,वंचितो आदि को तेजी से प्रभावित किया | बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रति इसने अनुकूलन का भावबोध पैदा किया | मध्य वर्ग में संस्कृति अलगाव की प्रक्रिया तेज की |  सांस्कृतिक खोखलेपन को  मीडिया कार्यक्रमों और साइबर सांस्कृतिक फ़्लो के जरिए भरा | इसने सांस्कृतिक तौर पर खोखले मनुष्य और बोगस सवालों पर वाद-विवाद को जन्म दिया | 

About Author

जगदीश्वर चतुर्वेदी मथुरा में 1997 में जन्म | आरंभ में 13 वर्षों तक सिद्धांत ज्योतिषशास्त्र का अध्ययन | ज्योतिषशास्त्र पर आरंभ में दो पुस्तकें प्रकाशित | संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से सिद्धांत ज्योतिषाचार्य (1979), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से हिंदी में एम.ए. (1981), एमफिल, (1982), (आपातकालीन हिंदी कविता और नागार्जुन), पी. एच. डी. स्वातंत्रोत्तर हिंदी कविता की मार्क्सवादी समीक्षा का मूल्यांकन (1986), कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में 1989 से 2016 तक अध्यापन कार्य, तीन बार विभाग अध्यक्ष | साहित्यालोचन और मीडिया पर 58 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित | कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में सन 1989 में प्रवक्ता सन 1993 में रीडर और 2001 में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति | सन सन 2016 में रिटायर | प्रकाशित कुछ प्रमुख पुस्तकें - उंबेतरो इको: चिन्हशास्त्र, साहित्य और मीडिया, (2012), मीडिया समग्र 11 खंडों में (2013), साहित्य का इतिहास दर्शन (2013), डिजिटल कैपिट लिजम, फेसबुक संस्कृति और मानवाधिकार (2014), इंटरनेट, साहित्य लोचन और जनतंत्र के (2014), नामवर सिंहऔर समीक्षा के सीमांत (2016), रामविलास शर्मा और परवर्ती पूंजीवाद और साहित्य इतिहास की समस्याएं , (2017) उत्तर आधुनिकतावाद (2004), तिब्बत दमन और मीडिया (2009), नदी ग्राम मीडिया और भूमंडलीकरण 2008 स्त्रीवादी साहित्य विमर्श (2000), मार्क्सवादी साहित्यालोचना की समस्यां, साइबर परिप्रेक्ष्य में हिंदी संस्कृत, उत्तर आधुनिकतावाद और विचारधारा, आधुनिकतावाद और विचारधारा, लेखक विश्व दृष्टि और संस्कृति |

Table of Content

पहला खंड
माध्यम परिदृश्य और मीडिया कारोबार

विश्व माध्यम परिदृश्य
माध्यम सम्राट
माध्यम सुल्तान
दूसरा खंड
माध्यम साम्राज्यवाद विचारधारा और संस्कृति

माध्यम साम्राज्यवाद और टेलीविजन
माध्यम साम्राज्यवाद और विज्ञापन
माध्यम साम्राज्यवाद और फैशन
माध्यम समाजवाद और कामुकता
माध्यम समाजवाद और धर्म
सांस्कृतिक साम्राज्यवाद
इंटरनेट और संचार साम्राज्यवाद
माध्यम साम्राज्यवाद का वैकल्पिक परिपेक्ष
सहायक ग्रंथ सूची