21 वीं के पूर्वार्द्र के दूसरे दशक का आखिरी साल अचानक विश्वव्यापी कोरोना का चारों तरफ हाहाकार भारत में भी उसकी दलित और चित्कार करती मानवता बेबस सरकार तंत्र सभी के मन मस्तिष्क में डर भय आशंका और अपने एवं अपनों की अनमोल जिंदगी बचाने की व्यवस्था उसके बीच पलायन करते प्रवासी असंख्य असहाय श्रमिक मजदूर सिर पर गट्ठर के साथ अपने अबोध बच्चे को गोद में उठाए युवा वृद्ध नर नारी बीमार बाप को साइकिल पर लादे बेतहाशा भागती लाचार गरीब लड़की रोटी के के तड़पन भरे दर्दीले दंशी बाहर का बेलबाग चित्रण और भयंकर त्रासदी का यथार्थ अक्स है |
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ एवं हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राहुल का जन्म 2 अक्टूबर 1952 ई. को ग्राम खेवली, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के एक सामान्य कायस्थ परिवार में हुआ है| इनकी रचनाओं में भारतीय राष्ट्रीय, सामाजिक एंव सांस्कृतिक चेतना के सबल स्वर मुखरित हुए हैं| इनकी अब तक 70 कृतियां प्रकाशित हो चुकी है | प्रमुख है महाभारत: मूलकवा (2 भाग) लोकार्पित डॉ. कणसिंह, सांसद, राज्यसभा, भारत सरकार, जिसकी विश्व में विशेष चर्चा हुई| श्रीमद्भागवतगीता: मूलकथा (2 भाग) जिनके लेखक ने नई संस्थाएं दर्ज की है- डॉ. विद्यानिवास मिश्र, रामायण: मूलकथा (3 भाग) तथा प्रसाद के मानक गीत, शमशेर और उनकी कविता, गिरिजा कुमार माथुर: काव्य दृष्टि और अभिव्यंजना, लंबी कविताओं की नाभि-कृति अग्निहोत्र: सपनों में आलोचना ग्रंथ के अलावा अनेक संपादित कृतियां है| यूगांक राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा द्वारा लोकप्रित व सम्मानित प्रजातंत्र, महानायक सुभाष और राणलक्ष्मी आवती बाई, गोरखनाथ: कीर्ति-कथा (प्रबंध-काव्य) दिव्यात्मा : अटल बिहारी वाजपेई, एकात्म वाद के पुरोधा: पंडित दीनदयाल उपाध्याय, श्याम प्रसाद मुखर्जी और नया कश्मीर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनका उत्तर जीवन आदि| 20 वीं सदी हिंदी के मानव निबंध (प्रस्तावना लेख डॉ राम दरश मिश्र), आलेख भारतीय स्तर पर राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार पर इनका वशिष्ट योगदान है |