संप्रेषण एक कला है जिसे क्या और किस तरह कहा जा रहा है अपने हाव-भाव और पूरी ताकत के साथ अपनी बात सही तरह से बताने समझाने की योग्यता अपनी सकील दर्शाता है यह स्किल ही वास्तव में व्यक्ति के व्यक्तित्व और योगिता को साबित करती है यह बात लोधा स्थित सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में शुक्रवार को विद्यार्थियों में संप्रेषण कौशल के विकास के मुद्दे पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने कही एक दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय के शोध निर्देशक डॉक्टर महिपाल सिंह राव ने कहा कि एक शिक्षक भी इस उधेड़बुन में रहता है कि वह ज्ञान के भीतर है या उसके भीतर ज्ञान है प्रेक्षण का मायने सुनने सीखने बोलने और लिखने से है लेकिन अक्सर इसमें किसी एक चुप कर आगे बढ़ने से दिक्कतें आती हैं अपनी कमजोरी भी हो तो सकारात्मक सोच से आगे बढ़ने पर परिणाम सही मिलना तय है |
डॉ. अनिरुद्ध कुमार सुधांशु शिक्षा एम.ए., एम.फिल. (आगरा बाजार में लोग धार्मिकता ) पी.एच.डी. (हबीब तनवीर के नाटकों में लोग धार्मिकता), पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज, करोड़ीमल कॉलेज, कालिंदी कॉलेज भास्कराचार्य कॉलेज, एस.पी.एम. कॉलेज, माता सुंदरी कॉलेज आदि महाविद्यालय में अध्यापन कार्य | रंगकर्मी एवं नाट्य अभिनेता : अंधा युग अंधेर नगरी लक्खा बुआ, बाकी इतिहास, नटबीज, सावित्री आदि नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन | संप्रति : मोतीलाल नेहरू कॉलेज , तदर्थ प्रवक्ता वर्तमान में अध्यक्ष: गवाह थियेटर ग्रुप |
सुशील कुमार बघेल बी.ए. एम. ए. दिल्ली विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पत्रकारिता, माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय अनुभव : 15 वर्षों से फील्ड रिपोर्टिंग और पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय | संप्रति- हिंदुस्तान समाचार न्यूज़ एजेंसी |