सतयुग की वापसी में प्राय 10000 वर्ष का समय लगता है | राम का समय त्रेता में आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व पैदा हुए थे | परीक्षत के पश्चात कलयुग का प्रारंभ हुआ आप सतयुग का समय आ गया है | इतिहास साक्षी है प्रकृति स्वयमेव परिवर्तन करती हैं तमाम औद्योगिकरण के विकृतियों के परिणाम स्वरूप 1920 में लीग ऑफ नेशनल तथा 1945 मैं संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना और वर्तमान में तमाम विकृतियों की समाप्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय जनतांत्रिक सरकार का गठन अध्यात्मिक समाजवाद के द्वारा ही संभव है | संक्षेप में अध्यात्मिक समाजवाद को प्रस्तुत पुस्तक में समझाया गया है |
पुस्तक के लेखक प्रोफे. जय नारायण पांडेय का जन्म 15. 07. 1963 को अयोध्या उत्तर प्रदेश के निकटस्थ ग्राम पिलखुवा के प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार गजाधर पांडे के साथ भी पीढ़ी में हुआ | आपके पिता श्री वासुदेव पांडे मध्य प्रदेश वर्तमान छत्तीसगढ़ राजनांदगांव में 1961 से आकर बस गए | प्रोफेसर पांडेय ने प्राथमिक से लेकर इंटर तक की शिक्षा अपने पैतृक ग्राम में रहकर पूरी के तत्पश्चात उन्होंने उच्च शिक्षा मध्य प्रदेश के राजनांदगांव वह रायपुर से प्राप्त की जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ में है | आप 1985 में अर्थशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर परीक्षा में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से प्रथम श्रेणी प्रथम स्थान प्राप्त किया | आपने 1987 से मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ के विभिन्न शासकीय महाविद्यालयों में कार्य किया आप उच्च शिक्षा संचलनालय रायपुर में भी कार्यरत रहे | आप राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी भी रहे आप मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शासन के विभिन्न परामर्श दात्री समितियों के सदस्य भी रहे | आप विभिन्न विश्वविद्यालयों व स्वशासी महाविद्यालय के पाठ्यक्रम समितियों के सदस्य अध्यक्ष भी रहे | वर्तमान में प्रोफेसर पांडे राजीव गांधी शासकीय स्थातकोत्तर महाविद्यालय अंबिकापुर जिला सरगुजा छत्तीसगढ़ में विभाग विभाग अध्यक्ष अर्थशास्त्र एवं अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम समिति के अध्यक्ष भी हैं | आप हिंदी अंग्रेजी संस्कृत छत्तीसगढ़ी अवधि के ज्ञाता भी हैं| प्रोफेसर पांडे मध्यप्रदेश शिक्षक संघ के महाविद्यालय प्रकोष्ठ के प्रांतीय संयोजक तथा छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ प्रकोष्ठ के प्रांतीय उपाध्यक्ष का दायित्व भी निर्माण किया | प्रोफे. जय नारायण पांडेय ने अर्थशास्त्र विषय के साथ समस्त विषयों व साहित्य का अध्ययन कर अध्यात्मिक समाजवाद की रचना की है |