रिपोर्टिंग करना एक कला है | इसमें आवश्यक अनावश्यक विचारों की पहचान करना जरूरी होता है | रिपोर्टर को यह ध्यान रखना होता है कि क्या प्रकाशित किया जाने लायक है और क्या नहीं ? वक्ता के विचारों में यदि किसी तरह की विवादास्पद टिप्पणियां है तो उसे हटाना जरूरी होता है | यद्यपि कुछ टिप्पणियां विवादों के बावजूद यदि प्रकाशन के लिए आवश्यक है तो उसकी भाषा कैसी बनाई जाए कि उसे पाठक ग्रहण सके | ऐसी रिपोर्टिंग की कला इस पुस्तक में पढ़ने को मिलती है | साक्षी गौतम ने समय-समय पर महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की जो रिर्पोटिंगों की हैं उन्हें संकलित करके पुस्तकाकार का रूप दिया है | हिंदी में यह पहला प्रयास देखने को मिलता है | पुस्तक में सामाजिक ,सांस्कृतिक समारोह व शिक्षाजगत से जुड़ी हुई रिपोर्टिंगों को ही स्थान दिया गया है | यहां संकलित की गई रिपोर्टिंग उत्कृष्ट ही नहीं बल्कि पठनीय भी हैं | पत्रकारिता पढ़ रहे हैं विद्यार्थियों को निशिचय ही रिपोर्टिंग की बारीकियों को समझने के लिए यह पुस्तक मार्गदर्शन का काम करेगी |
दिल्ली में साक्षी गौतम ने पत्रकारिता के लिए अपना कार्यक्षेत्र दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों को ही चुना है | वर्ष 2017 में साक्षी गौतम ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी से पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की | इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी, 2018 में पत्रकारिता में महिलाओं की जातिगत समस्या विषय पर शोध- पत्र पढ़ा | दिल्ली सरकार द्वारा वर्ष 2009 में इंदिरा अवार्ड प्राप्त किया | केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, दिल्ली से वर्ष 2009 में उत्कृष्टता का प्रशस्त्रि-पत्र प्राप्त किया | राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में सामाजिक एवं साहित्यिक विषयों पर विचारात्मक लेखों को समय-समय पर प्रकाशन | हिंदी मासिक बयान पत्रिका में स्थाई संवाददाता के रूप में कार्य किया | मथुरा से प्रकाशित डिप्रेस्ड एक्सप्रेस, तथा उज्जैन से प्रकाशित आश्वस्त में रिपोर्टिंग प्रकाशित | संप्रति : दिल्ली संवाददाता, भीम प्रज्ञा, सप्ताहिक समाचार-पत्र, झुझून राजस्थान |