प्रस्तुत किताब में 14 प्रमुख सिद्धांत कारों और उनके विचारों का मूल्यांकन प्रस्तुत है | हिंदी ही नहीं सभी भारतीय भाषाओं में यह अपनी तरह की पहली किताब है | आमतौर पर हम लोग मीडिया तकनीक और कम्युनिकेशन के रूपों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उन तकनीकी और कम्युनिकेशन के रूपों के साथ जुड़े विचारों के प्रति अनभिज्ञ होते हैं | कम्युनिकेशन तकनीक सिर्फ तकनीक नहीं है बल्कि उसके साथ विचार भी जुड़े हैं | इन विचारों से हमारा उच्च तकनीक और आधुनिक जीवन शैली के बारे में नजरिया बनता है | यह हमारे जीवन में बदलते पैराडाइम की सूचना है | भारतीय समाज पर इंटरव्यू के संदर्भ से निकलकर कंप्यूटर दृइंटरनेट के संदर्भ में दाखिल हो चुका है नए युग के तकनीकी दूरी है दबाव हर चीज से निर्मित है |
जगदीश्वर चतुर्वेदी मथुरा में 1997 में जन्म | आरंभ में 13 वर्षों तक सिद्धांत ज्योतिषशास्त्र का अध्ययन | ज्योतिषशास्त्र पर आरंभ में दो पुस्तकें प्रकाशित | संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से सिद्धांत ज्योतिषाचार्य (1979), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से हिंदी में एम.ए. (1981), एमफिल, (1982), (आपातकालीन हिंदी कविता और नागार्जुन), पी. एच. डी. स्वातंत्रोत्तर हिंदी कविता की मार्क्सवादी समीक्षा का मूल्यांकन (1986), कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में 1989 से 2016 तक अध्यापन कार्य, तीन बार विभाग अध्यक्ष | साहित्यालोचन और मीडिया पर 58 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित | कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में सन 1989 में प्रवक्ता सन 1993 में रीडर और 2001 में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति | सन सन 2016 में रिटायर | प्रकाशित कुछ प्रमुख पुस्तकें - उंबेतरो इको: चिन्हशास्त्र, साहित्य और मीडिया, (2012), मीडिया समग्र 11 खंडों में (2013), साहित्य का इतिहास दर्शन (2013), डिजिटल कैपिट लिजम, फेसबुक संस्कृति और मानवाधिकार (2014), इंटरनेट, साहित्य लोचन और जनतंत्र के (2014), नामवर सिंहऔर समीक्षा के सीमांत (2016), रामविलास शर्मा और परवर्ती पूंजीवाद और साहित्य इतिहास की समस्याएं , (2017) उत्तर आधुनिकतावाद (2004), तिब्बत दमन और मीडिया (2009), नदी ग्राम मीडिया और भूमंडलीकरण 2008 स्त्रीवादी साहित्य विमर्श (2000), मार्क्सवादी साहित्यालोचना की समस्यां, साइबर परिप्रेक्ष्य में हिंदी संस्कृत, उत्तर आधुनिकतावाद और विचारधारा, आधुनिकतावाद और विचारधारा, लेखक विश्व दृष्टि और संस्कृति | सुधा सिंह : जन्म कोलकाता, प.बंगाल कोलकाता विश्वविद्यालय से एम हिंदी स्वर्ण पदक सुप्रसिद्ध आलोचक रामविलास शर्मा के आलोचना कर्म पर पीएचडी श्री शिक्षायतन महाविद्यालय कोलकाता विश्वविद्यालय से व्याख्याता हिंदी की नौकरी का आरंभ तत्पश्चात विश्व भारती विश्वविद्यालय प. बंगाल मैं हिंदी व्याख्याता के पद पर लगभग 5 वर्षों तक अध्यापन सन 2004 में हिंदी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय में रीडर मीडिया जनरलिज्म और अनुवाद पद पर नियुक्ति सन 2010 से हिंदी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर कार्यरत सन 2010 12 तक आईसी सी आर चेयर पर अश्गाबात तुर्कमेनिस्तान मैं हिंदी भाषा और साहित्य के संस्थापक विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में कार्य एक पुस्तक में 15 अध्याय है पहले अध्याय में स्त्री साहित्य इतिहास मैं लिंग और स्त्री साहित्य की अवधारणा के विभिन्न पहलुओं का विशेषण है स्त्री साहित्य के इतिहास में व्यवस्थित ढंग से निर्मित करने के लिए ऐतिहासिक दृष्टिकोण और द्वंदात्मक प्रणाली को आधार बनाया जाना चाहिए इससे स्त्री साहित्य की ऐतिहासिक चेतना एवं युगीन चेतना के रिश्ते और अंतराल को बढ़ाने में मदद मिलती है स्त्री साहित्य का इतिहास लिखने का अर्थ है स्त्री यथार्थ के जटिल रूपों के परिवर्तन की प्रक्रिया को जाना स्त्री साहित्य के बहुत स्त्री औरतों की खोज करना |