आज आदिवासी पत्रकारिता के लिए आवश्यक हो गया है कि जल, जंगल जमींन के आंदोलन का विश्लेषण और ऐतिहासिक दृष्टि से आदिवासियों के मूल निवास स्थान का विवेचन करें | आदिवासी क्षेत्रों से शहरों की ओर विस्थापन के साथ भाषा में बदलाव हो रहा है | कुछ आदिवासी भाषाएं लुप्त की स्थिति में हैं| लोकगीतों और लोककथाओं के स्थान पर सिनेमा के गीत और कहानियां प्रचलित होने लगी है | आदिवासी क्षेत्र में आधुनिक बाजार का प्रवेश हो चुका है | ऐसे में आदिवासी पत्रकारिता का कर्तव्य बन जाता है कि वह आदिवासियों को उनकी अस्मिता का एहसास कराते हुए उन्हें बाजारवाद के प्रभाव पर जाने से रोके | सांस्कृतिक नेतृत्व की बड़ी भूमिका हो सकती है | आदिवासी पत्रकार इस मुहिम को जन - जन तक में जा सकता है | आदिवासी बुद्धिजीवियों, शिक्षकों , सामाजिक कार्यकर्ताओं, सांस्कृतिकर्मियों के समक्ष चुनौती हैं| समय-समय पर गैर आदिवासियों ने आदिवासियों को रौंदा ही नहीं बल्कि कुचला भी पर अस्तित्व बचाने वाले आदिवासी हमेशा जिंदा रहे | जोश - खरोश के साथ जल, जंगल, जमींन, भाषा , साहित्य, कला ,संस्कृति का आक्रोश जारी रखा | आज आदिवासी पत्रकार गैर आदिवासियों से तो जूझ रहा है बल्कि शहरों में रह रहे उन आदिवासियों से भी जूझ रहा है जो भौतिकता के चक्कर में अपनी आदिवासियत को छोड़ रहे हैं |
प्रो. रूपचंद्र गौतम जन्म : 8 जनवरी, 1965 शिक्षा - दीक्षा : गांव थोरा, तहसील जेवर, जिला गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश शिक्षा : एम.ए. हिंदी, जनसंचार, पी-एच. डी. ( दलित पत्रकारिता) पी-डी.एफ. (स्वास्थ्य पत्रकारिता) आई.टी.आई. (हिंदी आशुलिपि), आगरा मेरठ मंडल, आगरा अध्यापन में अनुभव : 1989 से नियमित प्रोफेसर : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय, अमरकंटक मध्य प्रदेश अतिथि प्रवक्ता : डॉ. भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय , अतिथि प्रवक्ता : मीरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय, वोकेशनल शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार | पत्रकारिता में अनुभव : 1992 से नियमित सहायक संपादक : लोकायन लोकतंत्र फीचर (प्रो. रजनी कोठारी की 'लोकायन' संस्थान द्वारा संचालित), उपसंपादक : बहुजन अधिकार (हिंदी पाक्षिक पत्र ) संवाददाता : अभीमूकनायक, (हिंदी मासिक पत्र) उपसंपादक : सम्यक भारत (हिंदी मासिक पत्रिका) सहायक संपादक : बयान, (हिंदी मासिक पत्रिका) प्रकाशित पुस्तकें – 30 इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सिद्धांत, प्रिंट मीडिया, संचार के जनसंचार, कैरियर पत्रकारिता, दलित रिपोर्टिंग, दलित पत्रकारिता के समाज सरोकार, दिल्ली की दलित पत्रकारिता, आजाद भारत में दलित, मीडिया लेखन, विशिष्ट पत्रलेखन, मानक आशुलिपि सिद्धांत, मानक डिक्टेशन, सर्वोदय आशुलिपि, हिंदी टंकण सिद्धांत , टंकण से कंप्यूटर, दलित राजनीति का उद्भव और विकास, दलित पत्रकारिता का उद्भव और विकास , मोहनदास नैमिशराय का साहित्य : मूल्यांकन स्वास्थ्य पत्रकारिता, आदिवासी पत्रकारिता , अंबेडकर जनसंचार के 8 भाग | संपादित पुस्तके – 7 आर्थिक पत्रकारिता, संवाद पर संवाद , दलित अभिव्यक्ति : संवाद और प्रतिवाद , दलित मानवाधिकार हेलो तसलीमा, दलित पत्रकारिता मूल्यांकन और मुद्दे, मोहनदास नैमिशराय आमने-सामने | संस्थाओं में पढ़े गए शोध- पत्र भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान , शिमला , लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, भारतीय सामाजिक संस्थान, नई दिल्ली एम.डी. विश्वविद्यालय रोहतक डॉ. भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय, दिल्ली, राजकीय महाविद्यालय , लैस डाउन , जयहरीखाल, गढ़वाल, शिल्पकार सभा, नैनीताल, विद्यावती मुकंद लाल महिला महाविद्यालय , गाजियाबाद उत्तर प्रदेश दयाल सिंह कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान , रांची, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी , 200 वैचारिक आलेख , 180 कार्यक्रम कवरेजे 150 पुस्तकों की समीक्षाएं के अतिरिक्त 50 विशिष्ट लोगों से बातचीत