दलित राजनीति : सिद्धांत और व्यव्हार (3 Vol Set)

Rs.6995.00

9789383931002
Hardcover
Academic Publication
Dharampal Rajoriya
20/26
2024

Description

देश को आजाद हुए 72 वर्ष, तथा प्रजातंत्र को अस्तित्व में आए 70 वर्ष का एक बहुत लंबा समय बीत चुका है | परंतु आम जनता को अब तक रोजी - रोटी, कपड़ा और मकान नसीब नहीं हुआ है जो कि सामान्य जीवन जीने की मूलभूत जरूरतें हैं | अच्छी शिक्षा, उम्दा चिकित्सा, सस्ते यातायात, प्रचुर बिजली एवं पानी , सुरक्षा, स्वच्छ पर्यावरण, उत्कृष्ट मनोरंजन एवं आदर्श नेतृत्व तो बहुत ही दूर की बात है| अतः विषय को परिलक्षित करते हुए वर्तमान की परिस्थितियों के अंतर्गत जनता- जनार्दन के जीवन की मूलभूत अनिवार्य जरूरतों की पूर्ति करवाने तथा राष्ट्र के सामने मुंह बाए खड़ी ज्वलंत एक चुनौतीपूर्ण समस्याओं के 'मसले' को प्राथमिकता देना जरूरी हो जाता है | इसलिए एक आदर्श एवं कुशल जन - नेतृत्व का प्रदर्शन करने के प्रयोजनार्थ निम्नलिखित मुद्दों पर अति उत्कृष्ट दर्जे के प्रोजेक्ट तैयार करके और उक्त प्रोजेक्टों को अमली जामा पहनाने हेतु विशेष कार्यशालाओं का आयोजन करके और अच्छी तरह से प्रशिक्षित होकर जन-साधारण के बीच एक भरोसे की एक विश्वास की एक हमदर्दी की, एक अपनेपन की जागरूकता/ नवचेतना समझ - सोच / पुनरुत्थान की लहर पैदा करके राजनीतिक परिदृश्य को बदलना ही राष्ट्र के प्रति अपने- अपने कर्तव्य का समर्पण करना वक्त की मांग है |

About Author

धर्मपाल राजोरिया 13 नवंबर 1948 को आसरा, रेवाड़ी, हरियाणा में हुआ | राजनीति विज्ञान का छात्र होने के नाते राजोरिया जी का चिंतन भी राजनीति से संबंधित रहा | आशीष प्रकाशन नई दिल्ली से भारतीय लोकतंत्र और वर्तमान राजनीति नाम से पुस्तक भी प्रकाशित हुई | पत्र-पत्रिकाओं में भी राजोरिया जी के लेख समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं | व्यवहारिक ज्ञान ही इनके चिंतन का प्रमाण है | काव्य की रुचि संग्रह के रूप में तैयार है | औद्योगिक पशिक्षण एवं व्यावसायिक शिक्षा विभाग हरियाणा से राजपत्रित अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं | 

Table of Content

भाग-1

  1. असमानता का दौर कब तक
  2. हिंदुत्व को बढ़ावा देता है रावण दहन
  3. विकासात्मक चुनौतियां
  4. संविधान में अभिव्यक्ति का अधिकार
  5. वैज्ञानिक युग में पाखंडवाद का औचित्य
  6. संविधान में कमी बताने का मतलब
  7. गणतांत्रिक प्रणाली और हमारी नैतिकता
  8. चुनावों में बड़बड़ी
  9. संविधान में आस्था का होना अनिवार्य
  10. अंबेडकर का नहीं मोदी का लोकतंत्र
  11. बुद्धत्व में ही लोकतंत्र है
  12. भ्रष्टाचार की राजनीति
  13. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मुद्दा

भाग 2

  1. आरक्षण पूरा क्यों नहीं होता
  2. लोकतंत्र का मतलब
  3. लोकतंत्रात्मक सरकार दायित्व
  4. नरांहार का समाजशास्त्र
  5. जरूरत है लोकतांत्रिक भारत बनाने की
  6. लोकहित याचिका (पी.आई.एल )
  7. राष्ट्रीय दस्तावेज
  8. वोट का अधिकार
  9. राजनीति और राजनीतिज्ञ

भाग 3

  1. मानव अधिकार
  2. लोकतंत्र और भारतीय संविधान
  3. देश में अघोषित आपातकालीन स्थिति अनेक राष्ट्रीय ज्वलंत मुद्दे
  4. बौद्ध धममवाद अपनाना है समाजवादी लाना है
  5. भारतीय पुलिस की जगह एक नए संगठन की संरचना