गांधी और दलित नवजागरण

Rs.1195.00

9788193803486
HB
Academic Publication
रजनी पाठक
23/36/16
2018

Description

दलित का मतलब पहले पीड़ित, शोषित, दवा हुआ, खिन्न, उदास, टुकड़ा, खंडित, तोड़ना, कुचलना, दला हुआ, पिसा हुआ, मसला हुआ, रौंदा हुआ, विनष्ट हुआ करता था लेकिन अब अनुसूचित जाति को दलित बताया जाता है अब दलित शब्द पूर्णता जाति विशेष को बोला जाने लगा हजारों वर्षों तक अस्पृश्य या अछूत समझी जाने वाले उन तमाम शोषित जातियों के लिए सामूहिक रूप से प्रयुक्त होता है जो हिंदू धर्म शास्त्रों द्वारा हिंदू समाज व्यवस्था में सबसे निचले (चौथे) पायदान पर स्थित है |

About Author

डॉ. रजनी पाठक

जन्मतिथि : 19 अगस्त 1979

शिक्षा : एम .ए. हिंदी, पीएच.डी. (हिंदी) हिंदी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ अंग्रेजी से हिंदी-पंजाब में अनुवाद में स्नातकोतस डिप्लोमा सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी व वेब डिजाइन में NICT चंडीगढ़ से स्नातकोत्तर डिप्लोमा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोध पेपर प्रकाशित दलित साहित्य नामक पुस्तक शीध्र प्रकाश्य कई साहित्यकार आयोजनों, सेमिनारों, वर्कशॉप में शोध-पत्र की प्रस्तुति व भागीदारी ; फेसबुक ,वेब मैगजीन पर हिंदी साहित्य के प्रचार- प्रसार में सक्रिय सम्प्रति : हिंदी प्रवक्ता के रूप में कार्यरत

Table of Content

  1. महात्मा गांधी
  2. दलित
  3. गांधी और दलित
  4. भारत में दलितों की स्थिति
  5. महात्मा गांधी एवं बाबा साहब
  6. दलित आंदोलनों की असफलता
  7. दलित साहित्य और आदिवासी साहित्य
  8. दलित उत्पीड़न
  9. दलित स्त्री आंदोलन
  10. दलितों की समस्या
  11. दलित उपन्यास
  12. दलित महिलाएं : अस्तित्व और अधिकार
  13. महात्मा गांधी की हत्या
  14. बाबासाहेब अंबेडकर के अनुसार दलित साहित्य