हमारे देश एवं विश्व स्तर पर विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं | इन आपदाओं से भारी जन-धन की हानि होती है | कुछ समय बिना व्यवस्था एवं सरकारी बचाव के कारण भी जन-धन की हानि होती है | प्रस्तुत पुस्तक में पंचायती राज द्वारा प्राकृतिक आपदाओं का किस प्रकार प्रबंध किया जा सकता है एवं इस संबंध में सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए हैं, आदि का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है |
डॉ. निरंजन वर्मा, जन्म 1975, जिन्होंने भूगोल में एम.ए. (भूगोल) में एम. ए. भूगोल एवं पीएचडी की डिग्री रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत जी. एन. सिन्हा महाविद्यालय करिंगा में भूगोल के सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं | इस क्षेत्र में इनका नाम काफी विख्यात है | इन्होंने करीब- करीब 15 पुस्तकों का संपादन कार्य भी किया हैं समय-समय पर सामाजिक समस्याओं एवं आपदा प्रबंधन संबंधी इनके लेख भी प्रकाशित होते रहते हैं |